Posts

Pani surname, caste in Odisha, Andhra Pradesh and West Bengal.

Image
  Pani is a surname of Utkal Brahmin mostly found in Odisha, West Bengal, Jharkhand, Chhattisgarh, Madhya Pradesh and rarely found in other parts of India and abroad. To know  more details about Pani surname click in the link below 🔗>  Origin of Pani surname

वेद-वेदांग व उपनिषद्।

Image
वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान' है। वेद के  चार भाग है: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।  Sage Vyasa imparting profound knowledge of "Shruti" & "Smriti" to Sukhdev and other sages. चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैं :- चतुर्वेद भारतीय धर्म के प्राचीन साहित्य के महत्वपूर्ण भाग हैं। इन्हें वेदों के नाम से भी जाना जाता है। चतुर्वेद चार प्रमुख वेद हैं: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, और अथर्ववेद। इनमें हर वेद कई ऋषियों (मुनियों या संतों) के द्वारा संकलित मंत्र, ऋचाएँ, और उपनिषद् शास्त्रों का संग्रह है। ऋग्वेद: ऋग्वेद सबसे पुराना और प्राचीन वेद है। इसमें ब्राह्मण ग्रंथ और आरण्यक भी हैं। ऋग्वेद में मुख्यतः देवताओं की स्तुति और उनकी महत्ता का वर्णन है। यजुर्वेद: यजुर्वेद में यज्ञ के रीति-रिवाज और मंत्र हैं। यज्ञों को करने की विधियाँ इसमें विस्तार से दी गई हैं। सामवेद: सामवेद का मुख्य उद्देश्य गायन के लिए है। इसमें विभिन्न मंत्रों को सामगान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अथर्ववेद: अथर्ववेद में भूतभविष्य के विषय में मंत्र हैं

तुलसी पूजा ,तुलसी देवी को किस दिशा में लगाना उत्तम होता है ? तुलसी विवाह : कल्कि मंत्र:

Image
आदि शंकराचार्य ने साधारण गृहस्थों को पाँच देवताओं की पूजा की महत्ता को समझाया। इन पंचदेवताओं में भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और शक्ति (जो दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे रूपों में प्रकट होती हैं) शामिल हैं। इन देवताओं की पूजा करने से श्रद्धा, विश्वास और समर्थता में वृद्धि होती है। यह पूजा यश, पुण्य, मानसिक शांति, और सम्मान की प्राप्ति कराती है। व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है, उसकी बुद्धि और विवेक बढ़ते हैं, और वह आरोग्य का सुख भी प्राप्त करता है। शास्त्रों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए और पूर्णिमातिथि और विशेष उपलक्ष्यों में उनकी पूजा करनी चाहिए।  शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। तुलसी अगर किसी शुभ दिन और शुभ समय में लगाई जाए, तो विशेष फलदायी साबित होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं तुलसी को सही दिशा में रखने पर ही उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।. ऐसी मान्यता है कि तुलसी की नियमित पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं तुल

Mahanty/Mohanty surname caste in Odisha, Andhra Pradesh and West Bengal.

Image
The surname Mahanty, alternatively spelled as Mahanti, Mohanty, and Mahanthi (మహంతి), originates from the Sanskrit terms "Mahan" and "Mahant," both signifying "great." These names reflect individuals of considerable influence who, through their personal charisma, intelligence, wisdom, or expertise, wielded their power in a manner that left a lasting and significant impact, earning them the esteemed recognition of greatness. It is pertinent to note that Mahanty, along with its alternative spellings Mohanty, Mahanti, and Mahanthi (మహంతి), served as an honorific title (उपाधि/पदवी) bestowed by the kings of Utkala, encompassing present-day Odisha and Bankura, Purulia and Midnapore district of West Bengal. This recognition, granted irrespective of caste considerations, was conferred upon individuals with profound expertise in fields such as administration and accounting during historical periods. Importantly, Mahanty is not indicative of a specific caste or fam

जनेऊ या यज्ञोपवीत धारण विधि। The procedure for wearing the sacred thread ( "Janeyu" or "Yajnopavita")

Image
   उपनयन संस्कार का अर्थ है- "ब्रह्म (ईश्वर) और ज्ञान के पास ले जाना"। उपनयन संस्कार जिसमें जनेऊ पहना जाता है और विद्यारंभ होता है। जनेऊ या यज्ञोपवीत अथवा ब्रह्मसूत्र धारण विधि। पहले ॐ मंत्र का तीन बार जाप करें। उसके उपरांत ॐ(ओ३म्) मंत्र॥ 1. जनेऊ को शुद्ध जल से या यदि सम्भव हो तो गंगा जल से धो लें जिससे उसपर पड़े हुए स्पर्श संस्कार दूर हो जाए। इसके बाद उसको दोनों हाथों के बीच रखकर गायत्री मंत्र का मानसिक या मंद स्वर में मंत्र का जप करें। इतना करने से जनेऊ पवित्र एवं अभिमंत्रित हो जाता है। गायत्री मंत्र ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥ 2 .इसके बाद किसी प्लेट में या पीपल के पत्ते पर पुष्प की कुछ पंखुड़ियां छिड़कर उसपर ब्रह्मसूत्र को प्रेम और आदर सहित स्थापित कर दें। तत्पश्चात निम्नलिखित (9 देवताओं का आवाहन मंत्र) एक-एक मंत्र पढ़ते हुए चावल अथवा एक-एक पुष्प को यज्ञोपवीत पर छोड़ता जाए।  इसप्रकार से एक-एक धागे एवं ग्रन्थियों में देवताओं का आवाहन करें। जनेऊ या यज्ञोपवीत के तंतुओं में देवताओं का आवाहन मंत्र। प्रथमतंतौ – ऊँ कारं आवाहयामि।

Origin of Sannigrahi Surname:-

Image
Surname(उपनाम/कुलनाम ) and Title(उपाधि/पदवी):- Surnames(उपनाम/कुलनाम) and titles (उपाधि/पदवी) or decorations used along with the proper names commonly added at the end of the names - are either genealogical or professional and sometimes topographical. The genealogical surname has been in use from generation to generation and is generally family names some of which may even have been personal names. Professional names have also been adopted as family names and are regularly used as surnames. It has been a practice for quite a few centuries to award titles (उपाधि/पदवी) to persons who occupy positions of distinction in intelligence, learning, wealth, honor, etc. Persons who have rendered meritorious service to the country have also been awarded titles that have gone down from generation to generation and thus got absorbed as family names or surnames. Indian history from pre-Mughal days has shown that the ruling Hindu Kings had awarded titles to persons and families for either meritorious

स्मार्त और वैष्णव मत। বৈষ্ণব মত(গোস্বামী) এবং স্মার্ত মত।

Image
। स्मार्त और वैष्णव मत।  স্মার্ত মত स्मार्त मत और वैष्णव मत एवं दोनों मतों पर आधारित पर्व। सनातन (हिन्दू )धर्म में चार मुख्य सम्प्रदाय हैं : वैष्णव (जो भगवान विष्णु को परमेश्वर मानते हैं), शैव (जो भगवान शिव को परमेश्वर मानते हैं), शाक्त (जो देवी दुर्गा को परमशक्ति मानते हैं) और स्मार्त (जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं) सरल भाषा में भगवान शिव को अपना ईष्ट मानने वाले ' शैव ', शक्ति अर्थात् दुर्गा को अपना ईष्ट मानने वाले 'शाक्त ' व भगवान विष्णु को अपना ईष्ट मानने वाले ' वैष्णव ' कहलाते हैं।  मोटे तौर पर ऐेसे व्यक्ति जो  पंचदेवों (गणेश, विष्णु,‍ शिव, सूर्य व दुर्गा) के उपासक और गृहस्थ धर्म का पालन करने वाले होते हैं, उन्हें स्मार्त कहते हैं ।  आदि शंकराचार्य ने साधारण गृहस्थों को पाँच देवताओं की पूजा की महत्ता को समझाया। इन पंचदेवताओं में भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और शक्ति (जो दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे रूपों में प्रकट होती हैं) शामिल हैं। इन देवताओं की पूजा करने से श्रद्धा, विश्वास और समर्थता में वृद्धि होती है। यह पूज