Characteristics of a devotee. Tulsi Vivaah, Utthana Ekadashi, Prabodhini Ekadashi.
Tulsi Vivah
Tulsi Vivah is a special form of Tulsi Puja, where the Tulsi plant is ceremonially married to Lord Vishnu, often represented by a Shaligram (a sacred stone) or an idol of Lord Krishna. This event marks the end of the Chaturmas (a four-month period of fasting and penance for Hindus) and the beginning of the wedding season in India. It is observed on the 11th day (Ekadashi) of the bright half of the Kartika month in the Hindu calendar.
Significance of Tulsi.
1.Tulsi as a Divine Plant: Tulsi Devi symbolizes purity, prosperity, and well-being.
2.Connection to Lord Vishnu: Tulsi is closely associated with Lord Vishnu and is often used in rituals dedicated to him. Offering Tulsi leaves to Lord Vishnu is considered highly auspicious.
3.Spiritual and Medicinal Importance: Apart from its religious significance, Tulsi has medicinal properties and is used in Ayurveda to treat various ailments.
How to Perform Tulsi Puja?
1. Preparation: Clean the area around the Tulsi plant. Offer water to the plant and decorate it with flowers, red cloth, and jewelry.
2. Offerings: Offer items such as incense, lamp (diya), sandalwood paste, fruits, and sweets.
3. Chanting of Mantras: Mantras and prayers dedicated to Tulsi and Lord Vishnu are recited.
4. Aarti: The worship concludes with an aarti (a ritual of waving a lighted lamp in front of the deity) while singing devotional songs or mantras.
Performing Tulsi Puja is said to bring good health, harmony, and protection to the household.
During Tulsi Puja, devotees chant mantras and prayers to invoke the blessings of Goddess Tulsi (a manifestation of Goddess Lakshmi) and Lord Vishnu. Here are some commonly used mantras for the puja:
1.Tulsi Pranam Mantra.
This is a basic mantra to offer respect to Goddess Tulsi.
Mantra:
तुलसीम् नमामि ध्वजिनिम्, सुताराम वृहत्तनीम्।
नमामि च तुलसी देवि नमः परम धर्मिणि॥
Transliteration:
"Tulasiṁ namāmi dhvajinīm, sutārām vṛhattanīm |
Namāmi ca tulasī devi, namaḥ parama dharmiṇi ||"
Meaning:
"I bow to the divine Tulsi, who is adorned with a flag, is the protector of righteousness, and blesses those who follow the path of Dharma."
2. Tulsi Aarti Mantra
This mantra is chanted while performing the aarti of Tulsi.
Mantra:
यं दृष्ट्वा पापिनो मुच्यते सर्वपापैः।
प्रणमामि ताम् देवि तुलसी त्वां नमोऽस्तुते॥
Transliteration:
"Yaṁ dṛṣṭvā pāpino mucyate sarvapāpaiḥ |
Praṇamāmi tāṁ devi tulasī tvāṁ namo’stu te ||"
Meaning:
"I bow to Goddess Tulsi, who frees sinners from all sins just by being seen. I offer my respectful obeisance to you."
3.Tulsi Stotra.
This is a devotional hymn dedicated to Goddess Tulsi.
Mantra:
तुलसी श्रीमहालक्ष्मि: विद्या अयु: यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी धर्मं मे देहि सुव्रते॥
Transliteration:
"Tulasī śrīmahālakṣmīḥ vidyā ayuḥ yaśasvinī |
Dharmyā dharmānanā devī dharmaṁ me dehi suvrate ||"
Meaning:
"Tulsi, you are the form of Goddess Lakshmi, the bestower of wealth, knowledge, and longevity. You are the embodiment of Dharma (righteousness). O virtuous one, please bless me with Dharma."
4.Tulsi Gayatri Mantra
Mantra:
ॐ तुलस्यै च विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि।
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्॥
Transliteration:
"Om Tulasya ca vidmahe Viṣṇupriyāyai dhīmahi |
Tanno Vṛndā pracodayāt ||"
Meaning:
"Let us meditate on the divine Tulsi, the beloved of Lord Vishnu. May she inspire and enlighten our intellect."
Chanting these mantras with devotion is believed to invoke blessings, peace, and prosperity in one’s life.
Utthana Ekadashi, Prabodhini Ekadashi.
Hindi version :-
आदि शंकराचार्य ने साधारण गृहस्थों को पाँच देवताओं की पूजा की महत्ता को समझाया। इन पंचदेवताओं में भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और शक्ति (जो दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे रूपों में प्रकट होती हैं) शामिल हैं। इन देवताओं की पूजा करने से श्रद्धा, विश्वास और समर्थता में वृद्धि होती है। यह पूजा यश, पुण्य, मानसिक शांति, और सम्मान की प्राप्ति कराती है। व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है, उसकी बुद्धि और विवेक बढ़ते हैं, और वह आरोग्य का सुख भी प्राप्त करता है।
शास्त्रों के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए और पूर्णिमातिथि और विशेष उपलक्ष्यों में उनकी पूजा करनी चाहिए।
शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। तुलसी अगर किसी शुभ दिन और शुभ समय में लगाई जाए, तो विशेष फलदायी साबित होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं तुलसी को सही दिशा में रखने पर ही उसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं।. ऐसी मान्यता है कि तुलसी की नियमित पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं तुलसी को किस दिशा में लगाना उत्तम होता है.
शुभ दिशा में लगाने से मिलता है विशेष फल।
वास्तु जानकारों का मानना है कि तुलसी के पौधे को सही दिशा में लगाने से ही घर में खुशियों का वास होता है. अगर आपने इसे गलत दिशा में रख दिया, तो आप पर बड़ा सकंट भी आ सकता है। कहते हैं कि गलत दिशा में रखा तुलसी का पौधा घर में निगेटिव एनर्जी फैला सकता है. इससे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि तीनों का सामना करना पड़ता है।
इस दिशा में लगाएं तुलसी का पौधा।
वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे को पूर्व दिशा में लगाना उत्तम माना गया है. अगर आपके घर में पूर्व दिशा में जगह नहीं है, तो फिर आप उत्तर या फिर उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) का चुनाव भी कर सकते हैं। इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से घर में सकारात्मकत ऊर्जा का वास होता है. इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है।
इस दिशा में भूलकर न लगाएं तुलसी।
मान्यता है कि तुलसी का पौधा तभी लाभप्रद होता है जब उसे सही दिशा में लगाया जाता है. इसलिए घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी तुलसी का पौधा नहीं लगाना चाहिए.दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना गया है. ऐसे में इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से फायदे की जगह नुकसान होने लगता है।
तुलसी पूजा।
तुलसी पूजा भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण है और इसे विशेष रूप से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को मनाना जाता है, जिसे तुलसी विवाह भी कहा जाता है। यह पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, और शांति की प्राप्ति होती है। यहां तुलसी पूजा की सामान्य विधि दी जा रही है:
सामग्री:
शुद्ध तुलसी पौधा
पूजा के लिए सामान (दीपक, अगरबत्ती, रूपा, कपूर, सुपारी, इलायची, लौंग, गुड़, दूध, गंगाजल, तुलसी दाल)
तुलसी पूजा की विधि:
पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान का चयन करें जो पूजा के लिए उपयुक्त हो।
पूजा का समय सुबह या शाम का उचित है।
अपने हाथों को धोकर शुद्ध करें और पूजा के लिए बैठें।
तुलसी पौधे की सीधी और सुंदर शाखा को छोड़ने के लिए उसकी पूजा करें।
तुलसी पौधे के चारों ओर रंग बटोरने के लिए कुमकुम या रोली का उपयोग करें।
तुलसी पौधे की मूली या राख का तिलक लगाएं।
अब अगरबत्ती और दीपक जलाएं।
पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें, जैसे कि "ओम श्री तुलस्यै नमः" या अन्य तुलसी मंत्र।
तुलसी स्तुति मंत्र।
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र:
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
तुलसी पौधे को दूध, गंगाजल, रूपा, गुड़, सुपारी, इलायची, लौंग, अगरबत्ती, दीपक, और कपूर से पूजें।
पूजा के बाद प्रसाद को तुलसी पौधे को चढ़ाएं और फिर उसे पूजा स्थल पर ही रखें।
यहीं एक सामान्य तुलसी पूजा की विधि है, लेकिन यह विधि क्षेत्र और स्थान के आधार पर थोड़ी विभिन्नता दिखा सकती है। आपके परिवार या स्थानीय परंपरा के अनुसार आप विधि में सुधार कर सकते हैं।
तुलसी विवाह |
तुलसी विवाह:-
सामग्री लिस्ट;-पूजा में मूली, शकरकंद, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, मूली, सीताफल, अमरुद और अन्य ऋतु फल चढ़ाएं जाते हैं। श्रृंगार के सामान, चुनरी, सिंदूर से तुलसी माता का श्रृंगार किया जाता है।
कैसे कराएं तुलसी विवाह ?
गमले के ऊपर गन्ने का मंडप बनाएं।फूलों की लड़ियों से मंडप को सजाएं। तुलसी के गमले को दुल्हन की तरह सजाएं।जहां विवाह कराना है वहां गंगाजल छिड़कें और फिर पूजा की चौकी पर तुलसी का गमला रखें। गमले में शालीग्राम जी को रखें। दूध में भीगी हल्दी शालीग्राम जी और तुलसी माता को लगाएं। विवाह की रस्में निभाते हुए मंगलाष्टक का पाठ करें। तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ाएं. कुमकुम, मेहंदी, सिंदूर और विष्णु जी के शालीग्राम रूप को भाजी, बोर, मूली, आंवला अर्पित करें।कपूर की 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें और भोग लगाएं।जिसके बाद तुलसी को शालिग्राम की बाई और रखकर उन दोनों की आरती उतारे तपश्चात विवाह संपन्न होने की घोषणा करें।
तुलसी जी के आरती :- तुलसी महारानी नमो-नमो,हरि की पटरानी नमो-नमो।
तुलसी जी के विवाह की पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
लाल रंग के चुनरी;-तुलसी विवाह की पूजा कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि तुलसी माता के पौधे पर लाल रंग की चुनरी जरूर चढ़ाएं।
तिल अर्पित करें:-तुलसी जी के विवाह में तिल का उपयोग करें। माता तुलसी का पौधा जिस गमले में लगा हो,उसमें शालिग्राम भगवान को रखें और फिर तिल चढ़ाएं।
दूध में भीगी हल्दी:-देवी तुलसी और शालिग्राम महाराज पर दूध में भीगी हल्दी को लगाएं। इसे तुलसी विवाह की पूजा में शुभ माना जाता है।
देवी तुलसी की परिक्रमा:-तुलसी विवाह के दौरान तुलसी के पौधे की 11 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली बना रह सकती है।
तुलसी पूजा मंत्र।
1.वृन्दा वृन्दावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी, पुष्प-सारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी। एतन्नामाष्टकम् चैव स्तोत्रं नामार्थ संयुतम, यः पठेत तम च सपूज्य सोश्वमेध फलं लभेत्
2.महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते’
कहते हैं इस मंत्र का जाप नियमित रूप से तुलसी के पत्ते या पौधे को छूते हुए करना चाहिए। मान्यता है इससे व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।शास्त्र के अनुसार प्रत्येक घर में माँ तुलसी की पूजा होना चाहिए।