स्मार्त और वैष्णव मत। বৈষ্ণব মত(গোস্বামী) এবং স্মার্ত মত।

। स्मार्त और वैष्णव मत। স্মার্ত মত


स्मार्त मत और वैष्णव मत एवं दोनों मतों पर आधारित पर्व।

सनातन (हिन्दू )धर्म में चार मुख्य सम्प्रदाय हैं : वैष्णव (जो भगवान विष्णु को परमेश्वर मानते हैं), शैव (जो भगवान शिव को परमेश्वर मानते हैं), शाक्त (जो देवी दुर्गा को परमशक्ति मानते हैं) और स्मार्त (जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं)

सरल भाषा में भगवान शिव को अपना ईष्ट मानने वाले 'शैव', शक्ति अर्थात् दुर्गा को अपना ईष्ट मानने वाले 'शाक्त' व भगवान विष्णु को अपना ईष्ट मानने वाले 'वैष्णव' कहलाते हैं। 

मोटे तौर पर ऐेसे व्यक्ति जो  पंचदेवों (गणेश, विष्णु,‍ शिव, सूर्य व दुर्गा) के उपासक और गृहस्थ धर्म का पालन करने वाले होते हैं, उन्हें स्मार्त कहते हैं। 

आदि शंकराचार्य ने साधारण गृहस्थों को पाँच देवताओं की पूजा की महत्ता को समझाया। इन पंचदेवताओं में भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और शक्ति (जो दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती जैसे रूपों में प्रकट होती हैं) शामिल हैं। इन देवताओं की पूजा करने से श्रद्धा, विश्वास और समर्थता में वृद्धि होती है। यह पूजा यश, पुण्य, मानसिक शांति, और सम्मान की प्राप्ति कराती है। व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है, उसकी बुद्धि और विवेक बढ़ते हैं, और वह आरोग्य का सुख भी प्राप्त करता है। यह राय/मत को स्मार्त मत कहलाती है ।

क्या है स्मार्त और वैष्णव मत?

स्मार्त मत।;-स्मार्त नाम संस्कृत शब्द 'स्मृति' से निकला है, स्मार्त मत स्मृति साहित्य का अनुसरण करता है।


Shruti & Smriti- Texts

 

श्रुति एवं स्मृति।

श्रुति:-

श्रुति हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थों का समूह है। श्रुति का शाब्दिक अर्थ है सुना हुआ, यानि ईश्वर की वाणी जो प्राचीन काल में ऋषियों द्वारा सुनी गई थी और शिष्यों के द्वारा सुनकर जगत में फैलाई गई थी। इस दिव्य स्रोत के कारण इन्हें धर्म का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत माना है। श्रुति में चार वेद आते हैं : ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। हर वेद के चार भाग होते हैं : संहिता, ब्राह्मण-ग्रन्थ, आरण्यक और उपनिषद्। इनके अलावा बाकी सभी हिन्दू धर्मग्रन्थ स्मृति के अन्तर्गत आते हैं।

स्मृति :-

स्मृति का अर्थ है मनुष्यों के स्मरण और बुद्धि से बने ग्रंथ जो वस्तुतः श्रुति के ही मानवीय विवरण और व्याख्या माने जाते हैं। इनमें वेद नहीं आते। स्मृतियों की रचना वेदों की रचना के बाद  हुआ।

मुख्य स्मृति ग्रंथ

मनुस्मृति

याज्ञवल्क्य स्मृति

अत्रि स्मृति

विष्णु स्मृति

हारीत स्मृति

औशनस स्मृति

अंगिरा स्मृति

यम स्मृति

कात्यायन स्मृति

बृहस्पति स्मृति

पराशर स्मृति

व्यास स्मृति

दक्ष स्मृति

गौतम स्मृति

वशिष्ठ स्मृति

आपस्तम्ब स्मृति

संवर्त स्मृति

शंख स्मृति

लिखित स्मृति

देवल स्मृति

शतातप स्मृति

 स्मार्त मत।

 स्मृति ग्रंथों के जो मत हैं उन्हें स्मार्त मत कहते हैं । स्मार्त मत से जुड़े लोग किसी भी पर्व की शुरुआत की तिथि को मानते हैं। एकादशी भी स्मार्त मत के लोग एक दिन पहले मनाते हैं।

वैष्णव सम्प्रदाय

वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है। इसके अन्तर्गत मूल रूप से चार संप्रदाय आते हैं। मान्यता अनुसार पौराणिक काल में विभिन्न देवी-देवताओं द्वारा वैष्णव महामंत्र दीक्षा परंपरा से इन संप्रदायों का प्रवर्तन हुआ है। 

(१) श्री सम्प्रदाय जिसकी आद्य प्रवरर्तिका विष्णु पत्नी महा लक्ष्मी देवी और प्रमुख आचार्य रामानुजाचार्य हुए। जो वर्तमान में रामानुज सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।

(२) ब्रह्म सम्प्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक चतुरानन ब्रह्मादेव और प्रमुख आचार्य माधवाचार्य हुए। जो वर्तमान में माध्वसम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।

(३) रुद्र सम्प्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक देवादिदेव महादेव और प्रमुख आचार्य वल्लभाचार्य हुए जो वर्तमान में वल्लभ सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।

(४) कुमार संप्रदाय जिसके आद्य प्रवर्तक सनतकुमार गण और प्रमुख आचार्य निम्बार्काचार्य हुए जो वर्तमान में निम्बार्क सम्प्रदाय के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा मध्यकालीन भारत में ब्रह्म (मध्व) संप्रदाय के अंतर्गत ब्रह्ममाध्व गौड़ेश्वर(गौड़ीय) संप्रदाय जिसके प्रवर्तक आचार्य  महाप्रभु चैतन्यदेव हुए और श्री(रामानुज) संप्रदाय के अंतर्गत रामानंदी संप्रदाय जिसके प्रवर्तक आचार्य श्रीरामानंदाचार्य हुए । रामान्दाचार्य जी ने सर्व धर्म समभाव की भावना को बल देते हुए कबीर, रहीम सभी वर्णों (जाति) के व्यक्तियों को भक्ति का उपदेश किया। आगे रामानन्द संम्प्रदाय में गोस्वामी तुलसीदास हुए जिन्होने श्री रामचरितमानस की रचना करके जनसामान्य तक भगवत महिमा को पहुँचाया। मध्यकालीन वैष्णव आचार्यों ने भक्ति के लिए सभी वर्ण और जाति के लिए मार्ग खोला, परंतु रामानंदाचार्य वर्ण व्यवस्था अनुरूप दो अलग अलग परंपरा चलायी ।  वैष्णव धर्म के अंदर भक्ति का प्रमुख स्थान है। वैष्णव धर्म का दृष्टिकोण सार्वजनिक और व्यापक था।  गीता के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए तपस्या और सन्यास अनिवार्य नहीं है ,मनुष्य गृहस्ती में रहते हुए भी मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।

वैष्णव मत।

वह मत जिसे हमारे आचार्यों ने प्रारंभ किया है। ब्रह्म मुहूर्त में जो तिथि होती है वैष्णव उसी दिन उत्सव मनाते हैं

नमो ब्रह्मण्य देवाय गोब्राह्मण हिताय च।

जगत् हिताय  कल्कि देवाय नमो नमः॥🙏

হিন্দু সম্প্রদায়ের পূজা পার্বনের দুই মত (দ্বিমত) কেন ? 

সনাতন ধর্মের সম্প্রদায় । 

সম্প্রদায় হল ক্ষুদ্র বা বৃহৎ জনগোষ্ঠী যাদের মধ্যে কিছু বিষয়, যেমন সামাজিক প্রথা, ধর্ম, মূল্যবোধ, ও পরিচয়ের মিল থাকে। সনাতন ধর্মে প্রধানত চার(4) প্রকারের সম্প্রদায়  দেখতে পাওয়া যায়। 

সহজ সরল ভাষায় এই সম্প্রদায় গুলির পরিভাষা (সংজ্ঞা) নিম্নরূপ :-

1. যারা ভগবান শিব কে ইষ্টদেবতা মানেন তারা হলেন  শৈব,সম্প্রদায়। 

2.যারা শক্তি অর্থাৎ দেবী দুর্গা কে  ইষ্টদেবী মানেন তারা হলেন 'শাক্ত' সম্প্রদায়।

3.যারা ভগবান বিষ্ণু কে ইষ্টদেবতা মানেন তারা হলেন  'বৈষ্ণব' সম্প্রদায়।

4. জগৎ গুরু আদি শঙ্কর (শঙ্করাচার্য)সাধারণ গৃহস্থ দের লোক দের পঞ্চ দেবতার পূজা করার বিধান দেন। এই মত ই স্মার্ত  মত।  পঞ্চ দেবগণ  (ভগবান সূর্য, ভগবান গণেশ, দেবী দুর্গা/, ভগবান শিব এবং ভগবান বিষ্ণু) ।

সনাতন ধর্মে পূজা ,পার্বন দুটি মতের উপর আধারিত। একটি হলো 'বৈষ্ণব' মত যাকে আমরা বলি গোস্বামী মত ,অন্যটি হল স্মার্ত মত। 

জগৎ গুরু আদি শঙ্কর (শঙ্করাচার্য)সাধারণ গৃহস্থ  লোকদের পঞ্চ দেবতার পূজা করার বিধান দেন। এই মত ই স্মার্ত  মত।

'বৈষ্ণব' সম্প্রদায়ের মতে ব্রহ্ম মুহূর্ত (পরমেশ্বরের সময়কাল)কে ধরে পূজা ,পার্বন,অনুষ্ঠানের সময় নির্ধারণ করা হয়।

 স্মার্ত মতে পূজা,পার্বন শুরু হওয়ার দিনটিকে  তিথি   মেনে  পূজা ,পার্বন অনুষ্ঠিত হয়। স্মার্ত মতে  একাদশী ও একদিন আগে পালিত হয়। আরো বিস্তারিত ভাবে জানার জন্য হিন্দিতে লেখা অংশ টি পড়তে পারেন।

নমো ব্রহ্মণ্যদেবায় গোব্রাহ্মণ হিতায় চ।

জগদ্ধিতায়  কল্কি দেবায় নমো নমঃ।।🙏



 

आभार

वृंदावन के पंडित बनवारीलाल गौड़

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया 


 Prabir is an Indian author who was born into a Utkal Brahmin family in the Indian state of West Bengal. He is known for his books, which are sold through Amazon.com, Flipkart.com, and Abebooks.com. Prabir is known for his genre/style of writing and has gained a dedicated following of readers who appreciate his unique perspective/engaging storytelling/etc. Prabir  has a passion for writing and has dedicated his career to creating engaging and thought-provoking works for his readers. His books and articles cover a wide range of genres and topics, and he is highly popular within the intellectual community for his contributions.

प्रबीर  एक भारतीय लेखक हैं। प्रबीर कुमार महंती का जन्म भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में एक उत्कल ब्राह्मण  परिवार में हुआ । उनकी किताबें पूरी दुनिया में बेची जाती हैं। प्रबीर  की किताबें  Amazon.com.Flipkart.com, abebooks.com पर उपलब्ध हैं। 12 लाख से अधिक लोगों ने उनकी किताबें और लेख पढ़े हैं।

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