वेद, वेदांग, उपनिषद और 16 संस्कार॥
वेद एवं धर्मचर्चा के अभाव के कारण, कालक्रम में द्विज गण के मन में में वेद वाणी के प्रति संदेह उत्पन्न होता है। श्रीमद्भागवतम् (10.20) वेद वेदों का अमृत-ज्ञान है गहरा, मानव के पथ को करता ये सवेरा। ऋषियों के तप, उनकी साधना महान, वैदिक मंत्रों में बसी सृष्टि की पहचान। ऋग्वेद में गूंजे सृष्टि का राग, यजुर्वेद सिखाए कर्म का सुहाग। सामवेद में संगीतमय मधुरता, और अथर्ववेद में जीवन की सुरक्षा। प्रकृति संग जो जीवन का समन्वय सिखाए, सच्चे अर्थों में समृद्धि का मार्ग दिखाए। सर्वे भवन्तु सुखिनः का सार, वैदिक ऋचाओं में बसा सारा संसार। Sage Vyasa imparting profound knowledge of "Shruti" & "Smriti" to Sukhdev and other sages. वेद, वेदांग, उपनिषद और 16 संस्कार॥ Vedas, Vedangas and Upanishads;- (वेद एवं उपनिषद):- वेद का शाब्दिक अर्थ 'ज्ञान' है। वेद के चार भाग है: ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। चतुर्वेद' के रूप में ज्ञात इन ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैं :- चतुर्वेद भारतीय धर्म के प्राचीन साहित्य के महत्वपूर्ण भाग हैं। इन्हें वेदों के नाम से भी ...