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The Essence and Practice of Pūjā: A Complete Guide to Devotional Worship.

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Definition of Pūjā. Pūjā is a methodical act of offering service, praise, prayer, salutation, and devotion that reveals and glorifies the divine qualities and presence of God. In essence, it is the spiritual union between the devotee and the Divine. The essence of pūjā is bhakti (devotion) — without bhakti, pūjā bears no fruit. 🔥We should always remember:  God does not benefit from the worship of Him. The devotee benefits from worshipping God. ॐ श्रीहरिनारायणं वन्दे चतुर्व्यूहरूपिणम्। प्रकृतिं परमात्मिकां वन्दे हरिं मोक्षप्रदम्॥ ★ ॐ श्रीजगन्नाथाय नमः। ॐ श्रीबलभद्राय नमः॥ ॐ श्रीप्रद्युम्नाय नमः। ॐ श्रीअनिरुद्धाय नमः॥ ॐ श्रीनारायणाय नमः। ॐ श्रीशेषनागाय नमः॥ ॐ श्रीमहालक्ष्म्यै नमः। ॐ श्रीनारायण्यै नमः॥ ॐ परमात्माय नमः। ॐ परमात्मिकायै नमः॥ ॐ प्रकृत्यै नमः। ॐ सर्वभूतहितप्रदायै नमः॥ ★ ☯. Two Aspects of Pūjā ☆.External Worship (Bāhya Pūjā) ☆.Internal Worship (Āntarik Pūjā) 💥External Pūjā External pūjā is divided into: 1. Vedic Pūjā Worship performed according to the prescriptions of the...

पूजा की परिभाषा,पूजा के प्रकार,पूजा के भेद,पूजा का फल,पूजा में फल प्राप्ति के उपाय।

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पूजा की परिभाषा: भगवान के गुणों का प्रकाशन करने वाली और उनके दिव्य स्वरूप को अभिव्यक्त करने वाली सेवा, स्तुति, प्रार्थना, प्रणाम एवं श्रद्धा की जो विधिपूर्वक प्रक्रिया है, वही पूजा कहलाती है। संक्षेप में कहें तो, सेवक और ईश्वर के बीच की आत्मिक एकता ही पूजा है। पूजा का मूल तत्व है भक्ति — भक्ति के बिना पूजा निष्फल होती है। न लाभं प्राप्नुयति हरिः कर्मकाण्डैः कदाचन । साधकः स्वहितार्थाय तैरेव फलमश्नुते नरः॥ पूजा, भजन, यज्ञ-याग से भगवान को नहीं, भक्त को ही कल्याण होता है। पूजा दो अंगों में विभक्त होती है — बाह्य पूजा आंतरिक पूजा बाह्य पूजा: बाह्य पूजा दो प्रकार की होती है: 1. वैदिक पूजा: वेदों के आदेश के अनुसार जो पूजा की जाती है, उसे वैदिक पूजा कहा जाता है। 2. तांत्रिक पूजा: तंत्रशास्त्र के नियमों के अनुसार जो पूजा संपन्न होती है, वह तांत्रिक पूजा कहलाती है। आंतरिक पूजा: जो पूजा मन की गहन भक्ति से की जाती है, उसे आंतरिक पूजा कहा जाता है। इसमें बाह्य सामग्रियों की अपेक्षा भाव और ध्यान को प्रधानता दी जाती है। पूजा के भेद: 1. मूर्तिपूजा: भगवान की मूर्ति या प्रतीक के सामने की गई पूजा को मूर...